एक पहेली तेरे जैसी, आज सुलझाने बैठा हूँ. पर न जाने क्यों, खुद उलझ जाता हूँ. कुछ अलग सी है तू, एक दम पहेली जैसी. पता नहीं कभी दोस्त, और कभी अजनबी बन जाती. इसलिए एक पहेली तेरे जैसी, आज सुलझाने बैठा हूँ. अजीब सा हमारा रिश्ता है, एक दम पहेली जैसा है. बेगाना हो… Continue reading एक पहेली तेरे जैसी