Hindi, Poem

हर रात सोता है

बदतमीज़ सा है दिल मेरा, शैतानियां करता है. बेमुकम्मल इश्क करके भी, हर रात सोता है. आवारो के तरह भटकता है, मंज़िल की खोज में. फिर भी अकेला हो कर भी, हर रात सोता है. बगावत करके लड़ता है, अपने जज़्बातों से. अनजाना सा रह कर भी, हर रात सोता है. अपने माशूका की याद… Continue reading हर रात सोता है